Saturday, April 9, 2011

राजपूतों की ऐसी कहानी है , कि राजपूत ही राजपूत कि निशानी है l हम जब आये तो तुमको एहसास था , कि कोई एक शेर मेरे पास था ll हम गरम खून के उबाल हैं , प्यासी नदियों की चाल हैं , l हमारी गर्जना विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है ll हम थक कर बैठेने वाले रड बांकुर नहीं...